Saturday, August 13, 2011

मेरी तरफ  से सभी देश वाशियो को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक सुभकामनायें .... 

Thursday, June 30, 2011

चलो अच्छा  ही हुआ, उस जॉब को आखिरकार हमने बदल ही डाला और एक नए एक्सपेरिएंस को हासिल करने का मौका भी मिल गया ...जॉब तो मिल गयी और साथ ही दो महीने के अन्दर गाँव घुमने का दूसरा मौका भी ....अभी २९ जून २०११ को फिर से हम पुरे परिवार के साथ दिल्ली आ पहुचे है .....................

Friday, May 6, 2011

दो साल के बाद घर जाने का एक सुनहरा मौका मिला मेरे साले साहब की शादी थी ...और घर पे कुछ और भी कुछ जरूरी काम ...बहुत आनंद आया घर पे सभी लोगो से मिलकर ...दिल्ली वापिस आने का दिल ही नहीं कर रहा था ...लेकिन जब दिल्ली वापिस आया जिस जॉब की वजह से वो जॉब तो छुट्टियों की वजह से ही जाती रही ...खैर इन्साल्लाह दूसरी जॉब इससे अच्छी मिलेगी मुझे  पूरी उम्मीद है .....

Monday, April 4, 2011

२८ साल के बाद इंडिया ने आखिरकार वर्ल्ड कप अपने नाम कर ही लिया ....इस फ़ाइनल मुकाबले में वैसे महेंद्र सिंह धोनी के खेल की जितनी तारीफ़ की जाए वो कम है .....सारा देश उनके इस खेल के प्रदर्शन से प्रसन्न है.......


Tuesday, February 8, 2011


कल मेरी तबियत कुछ नासाज थी ..अतः मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली ...लेकिन १० बजे के आस पास तबियत ठीक हो गयी ...मेरा मन घर में नहीं लग रहा था ...सो मैंने एक इंग्लिश लंगुएज ट्रेनर की पोस्ट के लिए साक्छात्कार के लिए तयार हो गया ...लेकिन वो साक्छात्कार कुरुक्छेत्र में  होना था ....मुझे इस बात का अंदाजा तो  था के ये ही कोई मेरे घर से ज्यदाह  से ज्यदाह  ३ घंटे का रास्ता होगा ...परन्तु जब मैं घर से १० बजे चला तो ...बदरपुर से मेट्रो लिया और ISBT नयी दिल्ली पहुँचने में ही १२ बज चुके थे ....फिर ऊपर से कुरुक्छेत्र के लिए कोई बस सीधी नहीं मिल रही थी ....और इस तरह से १२ :३० हो चुके थे ...इसी बिच मेरे दिमाग में आया के अगर मैं ४-५ बजे शाम तक कुरुक्छेत्र पहुच भी जाता हूँ तो साक्छात्कार पूरी करते करते ६ तो बज ही जायेगा ...और फिर वापसी में मुझे बहुत परेशानी हो जाएगी ...इसलिए मैंने अपने consultant  वीणा को फ़ोन करके इस सम्बन्ध में सूचित कर दिया ....और मैं फिर अपने घर वापिस हो गया ....खैर इस बात का अंदाजा तो लग ही गया है मुझे के हरियाणा के एक छोर से दुसरे छोर तक अगर सफ़र करना है तो एक दिन पूरा भी लगाया जाए तो सफ़िसिएन्ट  नहीं है ......और ख़ास कर साक्छात्कार के मामले में तो बिलकुल नहीं ...अतः मैंने telephonic round  के लिए अनुरोध तो किया है ...अगर कॉल आ गयी तो ठीक है नहीं तो दिल्ली एन सी  आर ही में अच्छा  रहेगा स्विच ओवर करना ......और इसी फैसले के साथ आज अपने ऑफिस को आ गया ....

Wednesday, February 2, 2011


चलो अच्छा है अब सर्दी हमें अलविदा करने को तत्पर है इस वादे के साथ की फिर मिलेंगे अगले साल ....आज यह जान कर खुसी हुई के मगही भाषा के उत्थान के लिए भी कुछ लोग अपना योगदान दे रहे है ...और देना भी चाहिए .....वैसे ब्लू लाइन बसों के बंद होने के बाद थोड़ी कठिनाई तो जरूर हो रही है आने जाने में ...क्यों की अभी दिल्ली में डी.टी .सी बसों का अंदरवाले इलाके में आना जाना बहुत कम है ...जैसे - जैतपुर -मीठापुर वाले रूट को ही ले लीजिये .....ऊपर से बदरपुर में फ्लाईओवर  बनजाने के बाद भी भयंकर जाम का लग जाना ........देखिये इस नयी मुसीबत से कब दिल्ली वाले उबर पाते है ....सबसे ज्यादा इससे प्रभावित अगर कोई हो रहा है तो आम आदमी ...ऐसा लगता है आम आदमी के बारे में सोंचने वाला इस दौर में बहूत कम लोग बचे है  यानी न के बराबर ...अल्लाह जाने इस देश में आगे आम आदमी का क्या होने वाला है ...फिर भी उम्मीद का दामन थाम रखा है हमसब ने ......

Monday, January 24, 2011



जाती हुई ठण्ड ने अपना रंग दिखा ही दिया घर में किसी  को जुकाम तो किसी को बुखार तो जैसे आम बात हो गई है ....कल रात को जैसे ही घर पंहुचा तो अरमान को अपने माँ की गोद में देखकर ही माथा ठनक गया ... पुचने पर पता चला के उसको तो बुखार और सर्दी ने जकड लिया है .... खाना खाने के बाद फर्स्ट ऐड की बॉक्स से बुखार की गोली और कुछ दवाईयां मैंने अरमान को खिलाई ... रात को उठकर मैंने चेक किया तो बुखार चला गया था ... लेकिन सुबह फिर बुखार आ गया ... खैर रोशन को ये हिदायत देकर के अगर बुखार फिर बढ़ जाए तो डॉक्टर के पास ले जाना और मैं ऑफिस को आ गया ... कुछ लेट हो चूका हूँ आज मैं ... जाम सड़क पे बहुत हो जाता है आजकल ....

Tuesday, January 11, 2011



चलो अच्छा है ठण्ड का मिजाज कुछ नरम हो गया है ... आज कुछ ठण्ड कम है ....सुबह ही सुबह इस बात का एहसास हो गया था ... जैसे ही कैब  वाले का इन्तेजार कर रहा था के सामने से वो आता हुआ दिखाई दिया और मैं बिलकुल समय से पहले ही ऑफिस पहुच चूका हूँ .... वैसे आज बुधवार का दिन है ....और ऑफिस में ढेर सारा काम भी करना है ... वैसे ऑफिस में जल्दी पहुंचना ही सेफ रहता है ... क्योंकि देर से पहुँचने पर सारा काम देर से सुरु होता है ... और ऊपर से बॉस की फटकार सुनाने का खतरा भी बना ही रहता है ... इसलिए मेरी कोशिश हमेशा टाइम से पहले ही पहुँचने की रहती है .... और देखो न ... वैसे आज मेरे बेटे ने कुछ चीजो की फरमाईस नहीं की जाने क्यों  ऐसा लगता है के वो मुझ से नाराज है क्यों  की सरताज को मैंने आज सुबह सुबह ही मम्मी का कहा न मानने की वजह से, उसके गाल में एक हलकी सी चपत जो लगा दी थी ... जाने फिर उसने नास्ता किया के नहीं ... सायद  इसीलिए आज वह मुझसे नाराज है ... पर कोई बात नहीं उसे मनाना  भी मुझे आता है और शाम  को उसे मैं जरूर मना  लूँगा ...