चलो अच्छा ही हुआ, उस जॉब को आखिरकार हमने बदल ही डाला और एक नए एक्सपेरिएंस को हासिल करने का मौका भी मिल गया ...जॉब तो मिल गयी और साथ ही दो महीने के अन्दर गाँव घुमने का दूसरा मौका भी ....अभी २९ जून २०११ को फिर से हम पुरे परिवार के साथ दिल्ली आ पहुचे है .....................