Monday, June 8, 2015

रमजान का महीना



आने वाला रमजान का महीना सभी को मुबारक !

वैसे तो ये महीना मजहब-ए -इस्लाम के मुताबिक दूसरे महीनो से ज्यादा अफजल माना गया है.
इस महीने में किया गया इबादत और महीनो के इबादत के मुकाबले ज्यादा सवाब देने वाला होता है.
नमाज इबादत का सर्वोत्तम तरीका तो है ही इससे तन और मन दोनों को शांति भी मिलती है
साथ ही नमाज स्वस्थ्य के लिए भी बहुत लाभप्रद है।

नमाज हमारे तन मन को स्वक्छ रखने का एक इस्लामिक एवं वैज्ञानिक तरीका भी है।
कयोकि हर नमाज से पहले वजू करना मतलब शरीर के मुख्या अंगों की अच्छी तरह से सफाई करना होता है.
रमजान के महीने में रखा जाने वाला रोजा भी मानव जीवन के लिए अति आवस्यक है।

कयोकि ये हमें इबादत के साथ ही साथ ये भी सिखाता है की गरीबी के कारण जिस घर में किसी दिन चूल्हा
नहीं जलने के कारण जिन्हे भूखे पेट सोना पड़ता है , वैसे लोगो की मदत करनी चाहिए।

रोजा रखना मात्र भूखे रहने का नाम नहीं है बल्कि सम्पूर्ण रोजा अपने आप में तबतक नहीं होता जबतक पेट के साथ साथ शरीर के अन्य अंगों का रोजे में उतना ही योगदान न हो, जितना की  पेट का।

मशलन आँख का रोजा , मुंह का रोजा ,नाक का रोजा , दिमाग का रोजा ,हाथ का रोजा , पैर का रोजा इत्यादि।
रोजा रखने से हमारे शरीर में जमा अति आवश्यक तत्व संतुलित हो जाता है , और फिर शरीर चुस्त एवं
दुरुस्त रहता है।
दूसरी तरफ चुकी नमाज अपने आप में एक बहुत बड़ा योगा है , अतः प्रतिदिन नमाज पढ़ने वाला वयक्ति संभवतः अधिकाधिक रोगों से मुक्त रहता है.

अतः नमाज अल्लाह की इबादत के साथ साथ हमें एक स्वक्छ एवं रोगमुक्त जीवन जीने की राह दिखलाती है।