Tuesday, February 8, 2011


कल मेरी तबियत कुछ नासाज थी ..अतः मैंने ऑफिस से छुट्टी ले ली ...लेकिन १० बजे के आस पास तबियत ठीक हो गयी ...मेरा मन घर में नहीं लग रहा था ...सो मैंने एक इंग्लिश लंगुएज ट्रेनर की पोस्ट के लिए साक्छात्कार के लिए तयार हो गया ...लेकिन वो साक्छात्कार कुरुक्छेत्र में  होना था ....मुझे इस बात का अंदाजा तो  था के ये ही कोई मेरे घर से ज्यदाह  से ज्यदाह  ३ घंटे का रास्ता होगा ...परन्तु जब मैं घर से १० बजे चला तो ...बदरपुर से मेट्रो लिया और ISBT नयी दिल्ली पहुँचने में ही १२ बज चुके थे ....फिर ऊपर से कुरुक्छेत्र के लिए कोई बस सीधी नहीं मिल रही थी ....और इस तरह से १२ :३० हो चुके थे ...इसी बिच मेरे दिमाग में आया के अगर मैं ४-५ बजे शाम तक कुरुक्छेत्र पहुच भी जाता हूँ तो साक्छात्कार पूरी करते करते ६ तो बज ही जायेगा ...और फिर वापसी में मुझे बहुत परेशानी हो जाएगी ...इसलिए मैंने अपने consultant  वीणा को फ़ोन करके इस सम्बन्ध में सूचित कर दिया ....और मैं फिर अपने घर वापिस हो गया ....खैर इस बात का अंदाजा तो लग ही गया है मुझे के हरियाणा के एक छोर से दुसरे छोर तक अगर सफ़र करना है तो एक दिन पूरा भी लगाया जाए तो सफ़िसिएन्ट  नहीं है ......और ख़ास कर साक्छात्कार के मामले में तो बिलकुल नहीं ...अतः मैंने telephonic round  के लिए अनुरोध तो किया है ...अगर कॉल आ गयी तो ठीक है नहीं तो दिल्ली एन सी  आर ही में अच्छा  रहेगा स्विच ओवर करना ......और इसी फैसले के साथ आज अपने ऑफिस को आ गया ....

Wednesday, February 2, 2011


चलो अच्छा है अब सर्दी हमें अलविदा करने को तत्पर है इस वादे के साथ की फिर मिलेंगे अगले साल ....आज यह जान कर खुसी हुई के मगही भाषा के उत्थान के लिए भी कुछ लोग अपना योगदान दे रहे है ...और देना भी चाहिए .....वैसे ब्लू लाइन बसों के बंद होने के बाद थोड़ी कठिनाई तो जरूर हो रही है आने जाने में ...क्यों की अभी दिल्ली में डी.टी .सी बसों का अंदरवाले इलाके में आना जाना बहुत कम है ...जैसे - जैतपुर -मीठापुर वाले रूट को ही ले लीजिये .....ऊपर से बदरपुर में फ्लाईओवर  बनजाने के बाद भी भयंकर जाम का लग जाना ........देखिये इस नयी मुसीबत से कब दिल्ली वाले उबर पाते है ....सबसे ज्यादा इससे प्रभावित अगर कोई हो रहा है तो आम आदमी ...ऐसा लगता है आम आदमी के बारे में सोंचने वाला इस दौर में बहूत कम लोग बचे है  यानी न के बराबर ...अल्लाह जाने इस देश में आगे आम आदमी का क्या होने वाला है ...फिर भी उम्मीद का दामन थाम रखा है हमसब ने ......