जिंदगी एक सफ़र
Tuesday, April 30, 2013
रहने लगे हम आजकल बनकर अजनबी की तरहा
जैसे के कभी मिले ही न हो आसमां और जमीं की तरहा
जिंदगी ने नहीं अपनों ने सताया है
खुदा ने नहीं अपनों ने रुलाया है
तुम सताओगे तो नई बात न होगी
जाने रब ने मुझे तुम से क्यों मिलाया है
Monday, April 29, 2013
गर जुबां से बात न कर सको दिल को दिल से बात करने दो
अपने दिल में जगह देकर मुझे जीने की राह दिखा दो
Monday, April 22, 2013
चाहे ग़म लिखूं या ख़ुशी ये कलम अब न रुकेगा
मौत जब मुझको बुला लेगी , दुनियाँ याद करेगी
तेरे सजदे के सिवा ये सर कहीं न झुकेगा
मेरे पीछे जमाने की निगाहें राह तकेंगी
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)