जिंदगी एक सफ़र
Monday, April 22, 2013
चाहे ग़म लिखूं या ख़ुशी ये कलम अब न रुकेगा
मौत जब मुझको बुला लेगी , दुनियाँ याद करेगी
तेरे सजदे के सिवा ये सर कहीं न झुकेगा
मेरे पीछे जमाने की निगाहें राह तकेंगी
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