Friday, May 24, 2013

एक बात तो काबिले यकीं है के जब जब निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पे जाता हूँ ....बहूत 
सुकून मिलता है ....और साथ ही उनकी चौखट पे आने वालों का हौसला भी देखते बनता है .....
इस चिलचिलाती हुई गर्मी में लोगो की भीड़ देखकर बहूत खुसी मिली ...
मेरे जैसे बहुत सारे जायरीन आये हुए थे .....निजामुद्दीन औलिया के दरगाह पर जियारत करने के 
बाद और कहीं जाने को दिल नहीं किया ....सो रोशन ने कहा चलिए अब घर चले .....इसलिए कुछ खाने पिने के बाद 
हम सीधे घर चले आये ...

Thursday, May 23, 2013

वक़्त  गुजरता गया इन्हीं दिनों सन 2003 में रोशन की तबियत बहुत ज्यादा ख़राब हो गयी .....ये बात मैंने ग्यास भैया और
निसार भैया को बताया ....एक हफ्ते तक लोकल डॉक्टर से इलाज चलता रहा ....लेकिन तबियत सुधरने के बजाये और बिगर गयी .....बड़ी मिन्नत करने पर ग्यास भैया ने रोशन को जीवन हस्पताल में भारती करवाया ......कुछ हालत में सुधार होने  पर हस्पताल से छुट्टी मिल गयी .....उन दिनों मेरी कमाई बहुत कम थी ....फिर भी जो इलाज पे ग्यास भैया का पैसा खर्च हुआ मैंने धीरे धीरे  सारा पैसा वापिस ग्यास भैया को दे दिया ....और फिर रोशन का इलाज गाँव में ही रखकर बिक्रम के एक अच्छे डॉक्टर से करवाया .....हालत में सुधर न  देखकर रोशन को वापिस दिल्ली ले आया और सफदरजंग हस्पताल में दिखाया फिर इस तरह से रोशन की सेहत में सुधार आने लगा और अब बिलकुल ठीक हो गयी .....डॉक्टर की रिपोर्ट के मुताबिक रोशन के पेट में इन्फेक्शन हो गया था ...

Friday, May 17, 2013

मेरी बड़ी  बहन इतनी मतलब परस्त होगी मैंने तो कभी सोंचा भी न था ...
अम्मी के चहारम के ठीक कल होकर , घर की जमीन की बटवारे के लिए गाँव के पंचो को जमा कर लिया ....और गलत तरीके से बटवारा करवा दिया ...इस कामको अंजाम देने में ग्यास भैया ने बड़ी बहन का साथ दिया ....बटवारे के मुताबिक बड़ी बहन ने अपने हिस्से की जमीन छोटी बहन ( स्वर्गीय हलीमा ) की बेटी लाडली को देने का वायदा  किया , जिसका जिक्र पंचनामा में है ....
लेकिन बटवारा हो जाने के बाद लाडली ( विकलांग ) को उसका हिस्सा देना तो दूर और उसके हिस्से की जमीन को अपने कब्जे में कर रखा है .....

एक दो बार लाडली अपने सौहर को लेकर बघाकोल आई 
और अपने हिस्से की जमीन वापिस मांगनी चाही , लेकिन उसकी 
एक न सुनी गयी कयोंकि ग्यास भाई और हमीदा बाजी दोनों की आपस में मिली भगत थी .....
13 साल से उस जमीन में गलत तरीके से हमीदा बाजी ( एक मतलब परस्त और लालची औरत )
कब्ज़ा जमाये बैठी है ....
मैंने सोचा के चलो जो होना था वो हो गया , मेरी आँखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे .....जैसे तैसे रात गुजरी और सुबह हो गई ...सो मैंने कुरानखानी के लिए जरुरत की चीजों की खरीदारी सुरु कर दी और ग्यास भैया को बताया ....तो बोल पड़े की अगर मैंने सामान मिलाया कुरानखानी के लिए तो हमीदा बाजी शामिल नहीं होगी ....मजबूरन हम दोनों भाइयों
को अलग अलग अम्मी के चहारम के मौके पर कुरानखानी करनी पड़ी ......

Saturday, May 11, 2013

1989 से लेकर 2013  तक की जिंदगी में बहुत सारा उतार चढ़ाव देखने को मिला
सन  2000 इ,सवी में अम्मी का इन्तेकाल हो गया ... इस बात की खबर तो मुझे मिली लेकिन 
मेरी बड़ी बहन के जरिये नहीं किसी और ने मुझे इस बात की जानकारी दी ...कयोंकि बड़ी बहन और मंझिले भाई  ( ग्यास) की नजर मेरे हिस्से की जमीन और माँ , बाप की बनायी हुई संपत्ति पर थी ...माँ मरने से 
पहले मुझे बहुत याद करती थी , उन दिनों मैं दिल्ली में ही था ...अम्मी ने मुझसे बार बार मिलने के लिए बड़ी बहन को कहा की जरा रेयाज़ को दिल्ली से बुला दो ...पर बड़ी बहन ने माँ की एक न सुनी और अम्मी के मरने के बाद जो भी पैसे और गहने अम्मी के पास थे वो सब बड़ी बहन ने ले लिए .....खैर किसी तरह से अम्मी के इन्तेकाल के बाद मै घर पहुंचा तो बड़ी बहन मुझे देखकर हैरान -परेशान हो गई कयोंकि उसके मन में खोट था ....ये बात इस बात की तरफ इशारा करता है अम्मी को 
जान बूझ कर सेवा नहीं किया गया और न हमें बुलाया गया ...जिसकी वजह से अम्मी को मुझसे मिले बगैर इस दुनिया से 
रुखसत होना पड़ा ......गौरतलब है इस काम में मंझिले भाई बड़ी बहन के  साथ बराबर के भागिदार है ..