1989 से लेकर 2013 तक की जिंदगी में बहुत सारा उतार चढ़ाव देखने को मिला
सन 2000 इ,सवी में अम्मी का इन्तेकाल हो गया ... इस बात की खबर तो मुझे मिली लेकिन
मेरी बड़ी बहन के जरिये नहीं किसी और ने मुझे इस बात की जानकारी दी ...कयोंकि बड़ी बहन और मंझिले भाई ( ग्यास) की नजर मेरे हिस्से की जमीन और माँ , बाप की बनायी हुई संपत्ति पर थी ...माँ मरने से
पहले मुझे बहुत याद करती थी , उन दिनों मैं दिल्ली में ही था ...अम्मी ने मुझसे बार बार मिलने के लिए बड़ी बहन को कहा की जरा रेयाज़ को दिल्ली से बुला दो ...पर बड़ी बहन ने माँ की एक न सुनी और अम्मी के मरने के बाद जो भी पैसे और गहने अम्मी के पास थे वो सब बड़ी बहन ने ले लिए .....खैर किसी तरह से अम्मी के इन्तेकाल के बाद मै घर पहुंचा तो बड़ी बहन मुझे देखकर हैरान -परेशान हो गई कयोंकि उसके मन में खोट था ....ये बात इस बात की तरफ इशारा करता है अम्मी को
जान बूझ कर सेवा नहीं किया गया और न हमें बुलाया गया ...जिसकी वजह से अम्मी को मुझसे मिले बगैर इस दुनिया से
रुखसत होना पड़ा ......गौरतलब है इस काम में मंझिले भाई बड़ी बहन के साथ बराबर के भागिदार है ..
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