फ़रवरी 2013 के 21 तारीख को रोशन की अम्मी दिल्ली आई और अप्रैल के महीने में हम सब गाँव जाने का प्रोग्राम
कभी हां कभी ना करते करते बना लिया ...और हम सब बघाकोल पहुँच गए ......इसी बिच गाँव में शमीम के भाई मुन्ना की शादी थी ......सो उसकी बरात में शामिल हो लिए .....इसी दौरान एक दिन मै जब अपने घर में दाखिल हुआ ....तो आदतन
हमीदा बाजी आदतन मुझसे बहस करने लगी ......फिर क्या था मेरा बहनोई बिच में टपक पड़ा और फिर कहा सुनी हो गई ....इतने से ही मन मन नहीं भरा तो मुझे अकेला पाकर मारने के लिए उठा ......लेकिन एकराम ने बिच बचाव किया .....
इस बात की इत्तला मैंने बड़े भाई अब्बास भैया को दिया जो फुलवारी शरीफ में रहते है ....गौर तलब है की ये सब जो कुछ भी
हो रहा है ग्यास भैया की वजह से हो रहा है , कयोंकि उनहोंने ने ही हमीदा बाजी को सह दे रखा है .....
अब्बास भैया तो चाहते है की जमीन का बटवारा दुबारा से हो .......लेकिन ग्यास भैया जो दिल्ली में रहते है ये दुबारा से बटवारा करना नहीं चाहते कयोंकि ग्यास भैया के नियत में खोट है .....
इस बात की शिकायत मैंने गाँव के मुखिया जी से की और सभी फरीकों को बुलाया ...लेकिन ग्यास भैया हाजिर नहीं हुए लेकिन मुखिया जी से सितम्बर में घर आने का वायदा किया .....इस तरह से दुबारा से बटवारा फिर टल गया .....इस तरह
हम अपने परिवार को लेकर जल्दी ही वापस आ गए ...
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