दिल्ली में आकर सबसे पहले तो १० दिन तक दिल्ली में घूमता रहा अच्छी तरह से रास्तों के बारे में मालूमात की ...... अपने भाई जान के साथ रहता था ......और वो इलाका था गढ़ी का ..... बड़ा मजा आया ....दिल्ली घुमने का ....फिर क्या था येही कॉलेज में इग्नू में मैंने परवेश ले लिया ...और साथ ही एक टेक्नीकल कोर्से के लिए भी मेरी पढ़ाई शुरू हो गई ......................
लेखन के मार्फ़त नव सृजन के लिये बढ़ाई और शुभकामनाएँ!
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आलेख-"संगठित जनता की एकजुट ताकत
के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी!"
का अंश.........."या तो हम अत्याचारियों के जुल्म और मनमानी को सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय-सरकारी कर्मचारी, अफसर तथा आम लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की ढाल बन जायें।"
पूरा पढ़ने के लिए :-
http://baasvoice.blogspot.com/2010/11/blog-post_29.html
Nirankush ji...Is jaankari ke liye aap ka bahut bahut dhanyawaad...
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