उर्स में हिस्सा लेने के बाद मेले में घुमने का और खाने पिने का बड़ा मजा आता था...आज भी जब याद आती है वहां की तो उसमे सरिक होने को जी चाहता है .....इंसा अल्लाह फिर अगर मौका मिला तो जरूर तसरीफ ले जाऊंगा... जब कॉलेज में पहले दिन मेरी एंट्री हुई तो उस वक़्त बड़ी मुस्कील से अपने क्लास रूम का पता लगा .... जब उसमे दाखिल हुआ तो कोई भी नहीं था.... मैं एक सीट पे बैठ गया ..... थोड़ी देर के बाद एक और बिद्यार्थी आया ..... कुछ देर तक तो हम दोनों खामोस बैठे रहे ..... फिर उसने मुझसे मेरे बारे में पूछा और मैंने उसके बारे में इस तरह से हमारी जान पेहछान हो गई और हम दोनों दोस्त बन गए .... उसका नाम रवि है .....
Tuesday, November 2, 2010
उर्स में हिस्सा लेने के बाद मेले में घुमने का और खाने पिने का बड़ा मजा आता था...आज भी जब याद आती है वहां की तो उसमे सरिक होने को जी चाहता है .....इंसा अल्लाह फिर अगर मौका मिला तो जरूर तसरीफ ले जाऊंगा... जब कॉलेज में पहले दिन मेरी एंट्री हुई तो उस वक़्त बड़ी मुस्कील से अपने क्लास रूम का पता लगा .... जब उसमे दाखिल हुआ तो कोई भी नहीं था.... मैं एक सीट पे बैठ गया ..... थोड़ी देर के बाद एक और बिद्यार्थी आया ..... कुछ देर तक तो हम दोनों खामोस बैठे रहे ..... फिर उसने मुझसे मेरे बारे में पूछा और मैंने उसके बारे में इस तरह से हमारी जान पेहछान हो गई और हम दोनों दोस्त बन गए .... उसका नाम रवि है .....
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