और इस तरह से कई मार्केटिंग कंपनी में बतौर ट्रेनर और मनेजेरिअल पोस्ट पे कार्य किया उन्ही दिनों मेरे पिताजी का देहांत हो गया ....दिल को बहुत सदमा पंहुचा ...लेकीन मैंने हिम्मत से काम लिया ....घर गया उनकी मिटटी में सामिल होने के लिए ....परिवार वालों के साथ अपने गम को हल्का किया .....फिर दिल्ली वापिस हो लिया .....
और फिर इस तरह से जिंदगी के सफ़र में संघर्स की राह में निकल पड़ा......
No comments:
Post a Comment