फिर उनकी तरफ मुखातिब होकर मैंने उनकी बातों को नकारते हुए ....मैंने बोला ... नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है .... फिर उनको मैंने अपने बारे में विस्तार से बताया ...और फिर उनके बारे में भी जानकारी हासिल की.... बस ने लगभग आधी दुरी तय कर ली थी... इस तरह से बात आगे बढती चली गयी... फिर विश्वम्भर नाथ सिंह जी ने मुझसे पुचा...
क्या सिवान में आपके कोई जानने वाले हैं .... मैंने कहा नहीं तो ...इसलिए बिस्वम्भर जी ने मुझसे पूछा फिर आप वहां कहाँ रुकेंगे ?...मैंने जवाब दिया .. जहाँ सभी परिच्छार्थी रुकेंगे वहीँ मैं भी रुक जाऊंगा .......
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