Friday, October 29, 2010


बिश्वम्भर नाथ जी का घर काफी बड़ा था ....और वे खुद भी बड़े अच्छे इंसान थे .... उनके परिवार से मिलकर बहुत खुसी हुई ...... उन्होंने मेरे मेहमाननवाजी में किसी तरह की कमी नहीं होने दी ......इस तरह से दुसरे दिन मैंने अपनी प्रतियोगिता में भाग लिए .... खैर उस प्रतियोगिता में मैं दुर्भाग्यवास कामयाब न  होसके ......

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