एक बार स्कूल में अच्छा परफोर्म करने के लिए...मुझ उस समय के एक मंत्री महोदय के द्वारा पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया गया....जिसके प्रेरणा स्वरुप मेरे जीवन में लेखन के प्रति भी रूचि बढ़ने लगी ....हालांके उस्ससे पहले आयोजित कार्यक्रम...जो की कल्चरल प्रोग्राम था ....उसमे दोस्तों के द्वारा प्रेरित किये जाने पर मैंने अपनी रचना से लोगों को मंत्र गुग्ध किया....जिसमे समय की महत्ता का मैंने उल्लेख किया था.....परन्तु वो कुछ खास ज्यादा चर्चित न हो सका .....परन्तु जिसको ध्यान में रखकर वो रचना लिखी गयी थी उन्हें वो बहुत पसंद आयी.....फिर उन्होंने वो रचना मुझसे मंगवाई और मैंने उनको सौंप दी....फिर मैं लेखन की क्रिया में अपने आप को आगे बढ़ता चला गया .....क्यों के मुझे पूर्ण विश्वास था और आज भी है के एक न एक दिन मुझे सफलता जरूर मिलेगी ...और फिर स्कूल का समय गुजरता चला गया....क्लास में सफलता की सीढियों को पार करता हुआ आखिरकार मैंने बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंको से सन- १९८६ इश्वी में पास कर ली ....उसके बाद पटना में ए.न कॉलेज में दाखिला ले लिया .......
Thursday, October 21, 2010
एक बार स्कूल में अच्छा परफोर्म करने के लिए...मुझ उस समय के एक मंत्री महोदय के द्वारा पुरस्कार वितरण समारोह में पुरस्कार से सम्मानित किया गया....जिसके प्रेरणा स्वरुप मेरे जीवन में लेखन के प्रति भी रूचि बढ़ने लगी ....हालांके उस्ससे पहले आयोजित कार्यक्रम...जो की कल्चरल प्रोग्राम था ....उसमे दोस्तों के द्वारा प्रेरित किये जाने पर मैंने अपनी रचना से लोगों को मंत्र गुग्ध किया....जिसमे समय की महत्ता का मैंने उल्लेख किया था.....परन्तु वो कुछ खास ज्यादा चर्चित न हो सका .....परन्तु जिसको ध्यान में रखकर वो रचना लिखी गयी थी उन्हें वो बहुत पसंद आयी.....फिर उन्होंने वो रचना मुझसे मंगवाई और मैंने उनको सौंप दी....फिर मैं लेखन की क्रिया में अपने आप को आगे बढ़ता चला गया .....क्यों के मुझे पूर्ण विश्वास था और आज भी है के एक न एक दिन मुझे सफलता जरूर मिलेगी ...और फिर स्कूल का समय गुजरता चला गया....क्लास में सफलता की सीढियों को पार करता हुआ आखिरकार मैंने बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंको से सन- १९८६ इश्वी में पास कर ली ....उसके बाद पटना में ए.न कॉलेज में दाखिला ले लिया .......
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